Sunday, October 10, 2021

सोचा था हमने हर एक से राफ्ता रखना कहाँ मुमकिन है मगर सबसे वास्ता रखना किसकी अंजुमन में जाओ लेकर अपनी परेशानिया आता कहाँ है अभी चेहरे पे झूटी मुस्काने रखना बेहतर था वो अपने मकाँ में कैद रहे शायद सीखा नही उन्होंने सबसे कलामे मोहब्बत रखना वो रूबरू हो या अब पर्दों से ही नजरे इनायत करे हमको आ गया अब उन्हें अपने दिल में बसाये रखना मौसम बदल जाए खिजा भी कुबूल है अब तो यारा हमने सीख लिया कागजी फूलो को महकाए रखना

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