Sunday, July 12, 2009

तेरी याद के साथ


कुछ मौसमी मस्ती का हल्का हल्का सुरूर लिए कुछ हलकी रचना आपकी नजर -----------------------

ंगडाईया टूटी है तेरी याद के साथ

कैसी बैचैनिया आई तेरी याद के साथ

बरस रहा था बादल मद्धम मद्धम

चिंगारिया थी जिस्म में तेरी याद के साथ

muddhat से तो नाता रखा न आंसुओ से

कुछ बुँदे थी पलकों पे तेरी याद के साथ

रोशनी का अरमां तो खो दिया मगर

पिघल रही थी कोई शमां तेरी याद के साथ

उड़ा रही थी हवा ही उलझी जुल्फों को

दहक रहा था शबाब तेरी याद के साथ

नींद तो तेरे पहलू में छोड़ आए थे

महक रहा था आफ़ताब तेरी याद के साथ

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