Monday, January 6, 2025

एक नया अध्याय लिखे

 कह दो अब हर सीता से राम का न इंतजार करे 

रावण का संहार करे और एक नया अध्याय लिखे 

बालकाल में जिसे हाथों से उठाया करती थी

छू न पाए उसी पिनाक को जाने कितने बलशाली 

फिर चढ़ाओ वही प्रत्यंचा कि अबला का विधान मिटे

शिवजी ने खुद पार्वती को मां काली बनने दिया

खुद समाधि लीन रहे काली ने राक्षस संहार किया

जगाओ फिर वही शक्ति अंधकार कुछ तो छटे 

प्रेमपथ में डूबी राधा कृष्ण वियोग में क्यों रोए

मीरा सी क्यों दीवानी हो गली गली फिरती रहे

रौद्र रूप दिखलाओ कि रुदन करुणा का राग घटे 

कर आराधना आदिशक्ति की क्यों किसी की राह तके 

त्याग सौम्य को करो प्रज्वलित अग्नि इतनी  नयनों मे

कि छाया और महक से भी पापी थर थर कांप उठे

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