एक बार देख जाना मां,
पथ पर आगे बढ़ते बच्चों को .
थोड़ा सुकून तू भी पा जाना,
विदा हो चुका संताप सब,
मन की पीड़ा भी धूल सी गई अब,
तरस गई है आंखे अब तो एक बार फिर तुझे निहारने को
बचा लिया है कुछ समय भी तेरे आँचल कि छाव को,
याद तो आता है बहुत तेरी आँखों का वो सुनापन जो टिका था दरवाजा हमारे इंतज़ार को,
पर एक बार देख जाना कैसे जीते हैं हम तरसते हैं तेरी मनुहार को
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