
लौट आओ के बहुत देर हो गई
लबो को मुस्कुराये हुये
हवाओं को महकाये हुये
नजरो के जुगनुओं को चमकाये हुये
बदन को बारिशो में भिगाए हुये
चाँद को हथेली में समाये हुये
किरणों को चेहरे पे सजाये हुये
लौट आओ के बहुत देर हो गई
तेरे दामन में अश्को को बहाए हुये
बाँहों का तेरी सहारा पाए हुये
कदमो को राहो में मिलाये हुये
एक ही मंजिल को भुलाये हुये
लौट आओ के बहुत देर हो गई
नजरो से नजरो को मिलाये हुये
बंद लवो से गजले सुनाये हुये
तेरे कंधे पे सर को टिकाये हुये
तेरे सपनो से अपनी नींद उडाये हुये
लौट आओ के बहुत देर हो गई
जिन्दगी हर पल कुछ कम हो गई
तेरी मोहब्बत दिल में दबी रही
पर इसकी तपिश कुछ कम हो गई
लौट आओ के बहुत देर हो गई
जाम से जाम को टकराए हुये
लहरों पे गीतों को गुनगुनाये हुये
झूठे सच्चे वादों को निभाए हुये
लौट आओ के बहुत देर हो गई
पैरो में मेहँदी लगाये हुये
माथे पे बिंदिया सजाये हुये
दामन को हवाओ में उडाये हुये
जुल्फों में फूलो को गुथाये हुये
लौट आओ के बहुत देर हो गई
नमी आँखों की अगन हो गई
धड़कने शोलो में दफ़न हो गई
हसरते अब तो कफ़न हो गई
its true
ReplyDeletei hav tears i my eyes whike going thru it
its the pain i m going thru
thanks Dipu
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