
रेशम रेशम से अहसास कहाँ से ले आये
मीठे मीठे ज़ज्बात कहाँ से ले आये
वो हरकदम पे मुड कर देखता क्यों है
हंसी मंजर हर राह पर कहाँ से ले आये
उसके वास्ते फिरता तो बहुत हो लेकिन
मौजे दरिया सी रवानी कहाँ से ले आये
कितना चाहा गर्दिशो से बचना हमने पर
मुस्कुराता हुआ चेहरा कहाँ से ले आये
यु तो सज जाती है हर रोज ही महफ़िल
जो वावस्ता हो मुझसे उसे कहाँ से ले आये .
दूर जाकर आवाज लगाती है कभी
ReplyDeleteकांपते हांथो से छूकर मुझे
मुझको मुझसे ही चुराती है कभी
its a wonderful gazal... simply superb...
wah
ReplyDeleteKya khayal hai