Friday, May 29, 2009


रेशम रेशम से अहसास कहाँ से ले आये

मीठे मीठे ज़ज्बात कहाँ से ले आये

वो हरकदम पे मुड कर देखता क्यों है

हंसी मंजर हर राह पर कहाँ से ले आये

उसके वास्ते फिरता तो बहुत हो लेकिन

मौजे दरिया सी रवानी कहाँ से ले आये

कितना चाहा गर्दिशो से बचना हमने पर

मुस्कुराता हुआ चेहरा कहाँ से ले आये

यु तो सज जाती है हर रोज ही महफ़िल

जो वावस्ता हो मुझसे उसे कहाँ से ले आये .


2 comments:

  1. दूर जाकर आवाज लगाती है कभी

    कांपते हांथो से छूकर मुझे

    मुझको मुझसे ही चुराती है कभी

    its a wonderful gazal... simply superb...

    ReplyDelete