
कभी छुआ नही बस महसूस किया
क्या खबर कितना इंतजार किया
दामन में ये नही कि कुछ न था
जो मेरा हो बस उसका इंतजार किया
अश्को से तो तपन बुझा ली मन की
जलते जीवन में नमी का इंतजार किया
रास्ते थे मंजिले हमसफ़र भी मगर
बेसहारे से सहारों का इंतजार किया
बस्तियां उजड़ी फ़िर बसी मौसम की तरहां
एक हम के तिनको का इंतजार किया
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