Tuesday, June 2, 2009

जिन्दा रहना कब तलक


अश्क पीना जख्म सीना जिन्दा रहना कब तलक

मतलबी जहान में तुझ बिन और रहना कब तलक

ये खता हमसे हुई आए हम उसके शहर में

वो हमें यु ही रखेगा और बेबस कब तलक

फूल पर बाग़ का माली का भी देखो करम

बोझ अहसानों का उठाना उसे कब तलक

अपने ही देते है हमको जख्म हर दिन नए

रहकर भी साया फिरूंगा मई आवारा कब तलक

देता है मुझको चाँद वो नयन लेने के बाद

मुझको है उस बुत के आगे और झुकना कब तलक

तल्खिया ही तल्खिया है रिस्तो के हर जाम में

पीते है यहाँ सब जहर और पियेंगे कब तलक

यु तो हरेक साँस का है जिन्दगी तुझसे गिला

दिल में शोले लव पर यु मुस्कुराह्ते कब तलक

एक तरफ़ मेरी जिन्दगी एक तरफ़ बद्गुमानिया

कशमकश है रात सारी और तडपना कब तलक

था बहुत ही में परेशां जिन्दगी से आज तक

हूँ मगर में अब पशेमा और रहना कब तलक

तुने फहराया था आँचल तप रहा था धुप में

साये से तेरे जल गया में और जलना कब तलक

की बगावत महक ने संगदिल चमन से

चर्चा रहेगा बहारो में न जाने कब तलक .



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