Saturday, May 30, 2009


कभी छुआ नही बस महसूस किया

क्या खबर कितना इंतजार किया

दामन में ये नही कि कुछ न था

जो मेरा हो बस उसका इंतजार किया

अश्को से तो तपन बुझा ली मन की

जलते जीवन में नमी का इंतजार किया

रास्ते थे मंजिले हमसफ़र भी मगर

बेसहारे से सहारों का इंतजार किया

बस्तियां उजड़ी फ़िर बसी मौसम की तरहां

एक हम के तिनको का इंतजार किया

Friday, May 29, 2009


रेशम रेशम से अहसास कहाँ से ले आये

मीठे मीठे ज़ज्बात कहाँ से ले आये

वो हरकदम पे मुड कर देखता क्यों है

हंसी मंजर हर राह पर कहाँ से ले आये

उसके वास्ते फिरता तो बहुत हो लेकिन

मौजे दरिया सी रवानी कहाँ से ले आये

कितना चाहा गर्दिशो से बचना हमने पर

मुस्कुराता हुआ चेहरा कहाँ से ले आये

यु तो सज जाती है हर रोज ही महफ़िल

जो वावस्ता हो मुझसे उसे कहाँ से ले आये .



लौट आओ के बहुत देर हो गई

लबो को मुस्कुराये हुये

हवाओं को महकाये हुये

नजरो के जुगनुओं को चमकाये हुये

बदन को बारिशो में भिगाए हुये

चाँद को हथेली में समाये हुये

किरणों को चेहरे पे सजाये हुये

लौट आओ के बहुत देर हो गई

तेरे दामन में अश्को को बहाए हुये

बाँहों का तेरी सहारा पाए हुये

कदमो को राहो में मिलाये हुये

एक ही मंजिल को भुलाये हुये

लौट आओ के बहुत देर हो गई

नजरो से नजरो को मिलाये हुये

बंद लवो से गजले सुनाये हुये

तेरे कंधे पे सर को टिकाये हुये

तेरे सपनो से अपनी नींद उडाये हुये

लौट आओ के बहुत देर हो गई

जिन्दगी हर पल कुछ कम हो गई

तेरी मोहब्बत दिल में दबी रही

पर इसकी तपिश कुछ कम हो गई

लौट आओ के बहुत देर हो गई

जाम से जाम को टकराए हुये

लहरों पे गीतों को गुनगुनाये हुये

झूठे सच्चे वादों को निभाए हुये

लौट आओ के बहुत देर हो गई

पैरो में मेहँदी लगाये हुये

माथे पे बिंदिया सजाये हुये

दामन को हवाओ में उडाये हुये

जुल्फों में फूलो को गुथाये हुये

लौट आओ के बहुत देर हो गई

नमी आँखों की अगन हो गई

धड़कने शोलो में दफ़न हो गई

हसरते अब तो कफ़न हो गई

Thursday, May 28, 2009


चलो आज चांदनी रातों की बातें करें

बिन तेरे बीती उन रातों की बातें करें

कभी साहिल किनारे थाम लूँगा तेरे हाँथ

मुमकिन से नही उन खयालो की बातें करें

मेरी नजरो में तेरा चेहरा जब तैरता हो

झील में खिलते एक कँवल की बातें करें

मेरे हर नज़ारे की शक्ल में जो बस गया

महकते तेरे अहसास के झोको की बातें करे

मोहब्बत आँखों से बयां हो जाती है ।

दिल सुलगता है हर चीज पिघल जाती है

जख्म दिल का काफी है कुछ बयां करने के लिए

ज़ज्बात मचलते है शायरी बन जाती है .